मंगलवार, 9 अक्टूबर 2012

नारी जो कभी न हारी..



नारी जो कभी न हारी..

नारी
जो कभी न हारी,
अस्तित्व बचाने हेतु
विपदा झेली भारी-भारी,

नारी
जो कभी न हारी.
लाज बचाने को अपनी
बनके काली वो ललकारी,

नारी
जो कभी न हारी
किसी ने कहा उसे अबला
तो किसी ने कह दिया बेचारी,

नारी
 जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
फिर भी लड़ना रखा जारी

नारी जो कभी न हारी.
          शालिनी कौशिक 

5 टिप्‍पणियां:

***Punam*** ने कहा…

नारी
जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
फिर भी लड़ना रखा जारी !

नारी जो कभी न हारी.

सच्चाई तो है यही...

Madan Mohan Saxena ने कहा…

जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

नारी
जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
जो जलना स्वीकारे सहर्ष
फिर भी लड़ना रखा जारी
अद्धभुत अभिव्यक्ति !!

देवेंद्र ने कहा…

नारी ने सदैव आने वाली चुनौतियों का सहजता व निडरता से सामना किया है।वह शक्ति व विजय की प्रतीक है। प्रभावशाली अभिव्यक्ति।

देवदत्त प्रसून ने कहा…

नारी,भारतीय-संस्कृति की धुरी रही है सदा सदा |
'मानवता'के 'विकास-क्रम' से जुडी रही सदा सदा||